भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मौत : एक / प्रफुल्ल कुमार परवेज़
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 02:05, 6 अप्रैल 2011 का अवतरण
उसका हिस्सा
सबके हिस्से में रहता
पीछे छोड़
एक पत्नी दो बच्चे
ढेरों के ढेर
काले और सफ़ेद
बैंक बैलेंस लाकर
बंगले,कारख़ाने
अचानक मर गया वह
हार्ट अटैक से
धड़ाम से गिरा
शहर पर आसमान
शहर में बंद है
शोकग्रस्त हैं नेता व्यापारी
अफ़सर कर्मचारी
तस्कर डाकू
गिरहकट रहज़न