भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

प्‍यार:एक छाता / सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

विपदाएँ आते ही,

खुलकर तन जाता है

हटते ही

चुपचाप सिमट ढीला होता है;

वर्षा से बचकर

कोने में कहीं टिका दो,

प्‍यार एक छाता है

आश्रय देता है गीला होता है।