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नमाज़ / हरभजन सिंह / गगन गिल

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एक कतार में खड़े होकर अपने यारों के संग जब
झुका मैं बन्दूक़ रखने को ख़ालमख़ाली

मुझे लगा पहली बार नमाज़ पढ़ी मैंने
सिजदा किया
या इलाही
 
मस्जिद का मीनार तुम्हारे क़दमों में रखा है
फिर न मेरे कन्धों पर रखना
 
तुम्हारी ख़ातिर
और लड़ाई
अब मैं नहीं लड़ूँगा।

पंजाबी से अनुवाद : गगन गिल