भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
काजल का टीका / अग्निशेखर
Kavita Kosh से
नवजात बच्चे ने
टैंट से बाहर हाथ निकालकर
मुट्ठी में भींच लिया सूरज
और झुलस गईं उसकी किलकारियाँ
उसने टैंट के अन्दर घुस आए
बादलों को निचोड़ा
और बह गया उसका बचपन
घुटनों चलते
उसने टैंट की एक रस्सी पकड़ी
और हो गया आश्वस्त
मुट्ठी में देखकर साँप
बच्चा हो रहा है बड़ा
उसके माथे पर किया है उसकी माँ ने
बड़ा-सा काजल का टीका