भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

साँचा:KKPoemOfTheWeek

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 सप्ताह की कविता

  शीर्षक: बाँधो न नाव इस ठाँव, बंधु!
  रचनाकार: सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला'

बाँधो न नाव इस ठाँव, बंधु!
पूछेगा सारा गाँव,  बंधु!

यह घाट वही जिस पर हँसकर,
वह कभी नहाती थी धँसकर,
आँखें रह जाती थीं फँसकर,
काँपते थे दोनों पाँव बंधु!

वह हँसी बहुत-कुछ कहती थी, 
फिर भी अपने में रहती थी, 
सबकी सुनती थी, सहती थी,
देती थी सबको दाँव, बंधु!