भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
तीन-पांच सितारा होटल / कुमार मुकुल
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:48, 20 फ़रवरी 2009 का अवतरण
सिर पर मुकुट बांधे
यहां का दरबान
राजा लगता है
और प्रिंस कोट डटाए बेयरे
लगते हैं
राजकुमारों से
मधुर मुस्कान फेंकती
रिसेप्सनिस्टस
राजकुमारियां लगती हैं
बाकी
वही
अकाटू-बकाटू लोग
दिखते हैं
यहां से
वहां तक ...