दिल भी वो है, धड़कन भी वो
चेहरा भी वो, दरपन भी वो
जीवन तो पहले भी था
अब जीवन का दर्शन भी वो
आज़ादी की परिभाषा भी
जनम-जनम का बंधन भी वो
बिंदी की ख़ामोशी भी है
खन-खन करता कंगन भी वो
प्रश्नों का हल भी लगता है
और जटिल-सी उलझन भी वो
दिल भी वो है, धड़कन भी वो
चेहरा भी वो, दरपन भी वो
जीवन तो पहले भी था
अब जीवन का दर्शन भी वो
आज़ादी की परिभाषा भी
जनम-जनम का बंधन भी वो
बिंदी की ख़ामोशी भी है
खन-खन करता कंगन भी वो
प्रश्नों का हल भी लगता है
और जटिल-सी उलझन भी वो