Last modified on 6 जून 2009, at 23:27

तेरी आवाज़ / रवीन्द्र दास

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:27, 6 जून 2009 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

आइना है तेरी आवाज़
जहाँ दिखती है मुझे
अपनी मुकम्मिल शक्ल
हो उठता हूँ जीवित
सुनकर तेरी आवाज़
अंधेरों में भी
सूझ पड़ता है रास्ता
हो जाता हूँ शामिल
दुनिया में
नई ताजगी
और नए विश्वास के साथ ,
जब सुनता हूँ -
तेरी आवाज़