भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
जिजीविषा / रवीन्द्र दास
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:09, 29 मई 2009 का अवतरण
न रहेगा कोलगेट
और न रहेगा कंप्यूटर
रहेगा सादा पानी ,
मेरी कविता
और मैं...
मैं यानि मेरी इच्छाएं
मैं अक्सर सोचता हूँ
मैं अक्सर चाहता हूँ
मैं...
यानी मेरी दुनिया
अनंत आकाश में
अनंत विचरते हुए मेरे अनंत स्वप्न.