Last modified on 31 मई 2009, at 04:03

बूढ़ी औरत का एकान्त / शुभा

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 04:03, 31 मई 2009 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

बूढी औरत को
पानी भी रेत की तरह दिखाई देता है
कभी-कभी वह ठंडी साँस छोड़ती है
तो याद करती है
बचपन में उसे रेत
पानी की तरह दिखाई देती थी ।