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करमन की गति न्यारी / अंशु मालवीय
Kavita Kosh से
कर्ज़ की हमको दवा बताई
कर्ज़ ही थी बीमारी
साधो !
करमन की गति न्यारी ।
गेहूँ उगे शेयर नगरी में
खेतों में बस भूख उग रही
मूल्य सूचकांक पे चिड़िया
गाँव शहर की प्यास चुग रही
करखानों में हाथ कट रहे
मक़तल में त्यौहारी
साधो !
करमन की गति न्यारी ।
बढ़ती मंहगाई की रस्सी
ग्रोथ रेट बैलेन्स बनाए
घट-बढ़ के सर्कस के बाहर
भूखों के दल खेल दिखाए
मेहनत-क़िस्मत-बरकत बेचें
सरकारी व्योपारी
साधो !
करमन की गति न्यारी ।
शहर-शहर में बरतन मांजे
भारत माता ग्रामवासिनी
फिर भी राशनकार्ड न पाए
हर-हर गंगे पापनाशिनी
ग्लोबल गाँव हुई दुनिया में
प्लास्टिक की तरकारी
साधो !
करमन की गति न्यारी !