Last modified on 22 जून 2009, at 22:12

उनींदे की लोरी (कविता) / गिरधर राठी

साँप सुनें अपनी फुफकार और सो जाएँ
चींटियाँ बसा लें घर-बार और सो जाएँ
गुरखे कर जाएँ ख़बरदार और सो जाएँ