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असम्भव / रमानाथ अवस्थी

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ऐसा कहीं होता नहीं
ऐसा कभी होगा नहीं ।

धरती जले बरसे न घन,
सुलगे चिता झुलसे न तन ।
औ ज़िंदगी में हों न ग़म ।

ऐसा कभी होगा नहीं
ऐसा कभी होता नहीं ।

हर नींद हो सपनों भरी,
डूबे न यौवन की तरी,
हरदम जिए हर आदमी,
उसमें न हो कोई कमी ।

ऐसा कभी होगा नहीं,
ऐसा कभी होता नहीं ।

सूरज सुबह आए नहीं,
औ शाम को जाए नहीं ।
तट को न दे चुम्बन लहर
औ मृत्यु को मिल जाए स्वर ।

ऐसा कभी होगा नहीं
ऐसा कभी होता नहीं ।

दुख के बिना जीवन कटे,
सुख से किसी का मन हटे ।
पर्वत गिरे टूटे न कन,
औ प्यार बिन जी जाए मन ।

ऐसा कभी होगा नहीं
ऐसा कभी होता नहीं ।