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कोई राजा कोई रानी / प्रेम भारद्वाज
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कोई राजा कोई रानी
कौन भरेगा घर का पानी
बातें ही उलझीं कुछ ऐसी
बहरें हो गईं पानी-पानी
लेने देने के मसले हैं
कौन किसी का भरता पानी
भूखे प्यासे बेघर नंगे
बोलो मछली कितना पानी
प्रेम घड़ी भर ही का काफी
दुनिया तो है आनी जानी