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बाल पहेलियाँ-3 / दीनदयाल शर्मा
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१.
टर्र - टर्र जो टर्राते हैं
जैसे गीत सुनाते,
जब ये जल में तैरा करते
पग पतवार बनाते।
२.
चर-चर करती शोर मचाती
पेड़ों पर चढ़ जाती,
काली पत्तियां तीन पीठ पर
कुतर-कुतर फल खाती।
३.
छोटे तन में गाँठ लगी है
करे जो दिन भर काम,
आपस में जो हिलमिल रहती
नहीं करती आराम।
४.
पानी में ख़ुश रहता हरदम
धीमी जिसकी चाल,
ख़तरा पाकर सिमट जाए झट
बन जाता खुद ढाल।
५.
छत से लटकी मिल जाती है
अठ पग वाली नार,
बुने लार से मलमल जैसे
कपड़े जालीदार।
उत्तर :
१. मेंढक
२. गिलहरी
३. चींटी
४. कछुआ
५. मकड़ी