भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
खामोश मौत / राजीव रंजन प्रसाद
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:54, 6 अप्रैल 2011 का अवतरण
वो जो तड़प भी नहीं पाते हैं
उनसे क्या पूछते हो मौत क्या है,
तड़प कर जिनमें सह लेने का साहस आ जाता हो,
उनसे क्या पूछते हो मौत क्या है....
मेरी साँस लेती हुई लाश से पूछो
कि तड़पन की शिकन को दाँतों से दाब कर
मुस्कुरा कर
यह कह देना "जहाँ रहो खुश रहो"
फ़िर एक गहरी खामोश मौत मर जाना
कैसा होता है..
२८.०५.१९९७