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पुनर्नवा / मोहन सगोरिया
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मैं महाप्रलय के बाद भी
जीवित रहना चाहूंगा
महासृजन के लिए
मैं फिर से जीना चाहूंगा
आदम का जीवन
और हव्वा का हाथ थामे-थामे
नाप लेना चाहूंगा ब्रह्माण्ड
बिताना चाहूंगा
शताब्दियों पर शताब्दियाँ
मैं उस फल की तलाश में भटकूंगा
जिसकी वज़ह से सिरजा संसार
शताब्दियों से शताब्दियों तक
और जन्मान्तरों से जन्मान्तरों तक।