औरत बनती लडकी
बगैर लिखे पन्ने की तरह
फड़फड़ाई
फड़फड़ाई और
ख़ुद से
अलग हो गई
अलग हो गई
ख़ुद में वापस न आने के लिए
कभी /
रचनाकाल : 3 अप्रेल 1991 विदिशा
शलभ श्रीराम सिंह की यह रचना उनकी निजी डायरी से कविता कोश को चित्रकार और हिन्दी के कवि कुँअर रवीन्द्र के सहयोग से प्राप्त हुई। शलभ जी मृत्यु से पहले अपनी डायरियाँ और रचनाएँ उन्हें सौंप गए थे।