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कारे बदरा तू न जा / शैलेन्द्र

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कारे बदरा तू न जा न जा बैरी तू बिदेस न जा
घननन मेघ-मल्हार सुना रिमझिम रस बरसा जा

सनन-सनन हाय पवन झकोरा बुझती आग जलाए
मन की बात नयन में आए मुझसे कही न जाए
कारे बदरा तू न जा ...

माथे का सिन्दूर रुलावे लट नागिन बन जाए
लाख रचाऊँ उन बिन कजरा अँसुअन से धुल जाए
कारे बदरा तू न जा ...

चौरस्ते पे जैसे मुसाफ़िर पथ पूछे घबराए
कौन देस किस ओर जाऊँ मैं मन मेरा समझ न पाए
कारे बदरा तू न जा ..