भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अच्छे दिन / एकांत श्रीवास्तव

Kavita Kosh से
Shrddha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:25, 25 अप्रैल 2010 का अवतरण

यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अच्‍छे दिन खरगोश हैं
लौटेंगे
हरी दूब पर
उछलते-कूदते
और हम
गोद में लेकर
उन्‍हें प्‍यार करेंगे
अच्‍छे दिन पक्षी हैं
उतरेंगे
हरे पेड़ों की
सबसे ऊंची फुनगियों पर
और हम
बहेलिये के जाल से
उन्‍हें सचेत करेंगे
अच्‍छे दिन दोस्‍त हैं
मिलेंगे
याञा के किसी मोड़ पर
और हम
उनसे कभी न बिछुड़ने का
वादा करेंगे.

--Pradeep Jilwane 10:45, 24 अप्रैल 2010 (UTC)