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वक्त का जादू / मुकेश मानस

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भोले-भाले मासूम बच्चे
खेलते-खेलते गायब हो जाएँ

अल्ल-सुबह घूमने निकले बुजुर्ग
लौटकर घर न आएँ

चहकती-महकती लड़कियाँ
ख़ौफ़ज़दा पुतलियों में बदल जाएँ

देखते-देखते ख़ुशबूदार फूल
धारदार शूल बन जाएँ

हमने पहले तो नहीं देखा
भई वाह!
कैसा जबरदस्त जादू है
जो यह वक़्त हमें दिखा रहा है।

रचनाकाल : जून 2000