Last modified on 24 मई 2010, at 10:38

स्तुत्य यदि तेरे काम / सुमित्रानंदन पंत

Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:38, 24 मई 2010 का अवतरण ("स्तुत्य यदि तेरे काम / सुमित्रानंदन पंत" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite)))

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

स्तुत्य यदि तेरे काम,
न तेरे गुण से वे, सच जान!
निन्द्य यदि तू अघ ग्राम,
न तेरा दोष, व्यर्थ अभिमान!
छोड़ सदसद् अविचार,
बंधु, ईश्वर सब का करतार!
उसी के सब व्यापार,
तुझे क्यों भय, मिथ्याहंकार!