भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बलि-निर्वास / गुलाब खंडेलवाल
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 08:16, 14 दिसम्बर 2010 का अवतरण
बलि-निर्वास
रचनाकार | गुलाब खंडेलवाल |
---|---|
प्रकाशक | |
वर्ष | |
भाषा | हिन्दी |
विषय | |
विधा | चम्पू काव्य |
पृष्ठ | |
ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
<sort order="asc" class="ul">
- जीवन-संध्या में आज, पथिक तुम थके और हारे-से हो / गुलाब खंडेलवाल
- दम्भपूर्ण अधिकार, स्वार्थ या चिर अबाध वासना-विलास / गुलाब खंडेलवाल
- मना लूँ मन को तो सजनी / गुलाब खंडेलवाल
- सखी री समय-समय की बात / गुलाब खंडेलवाल
- मधुप तुम भूले प्रीति पुरातन / गुलाब खंडेलवाल
- मधुकर यह उपवन क्यों भूले / गुलाब खंडेलवाल
- कल्प वृक्ष की सबसे ऊँची शाखा पर से / गुलाब खंडेलवाल
- वांछित जो माँगें आप, सौंवे बलिकाल में / गुलाब खंडेलवाल
- राई में सुमेरु ज्यों विशाल वट वृक्ष में हो / गुलाब खंडेलवाल
</sort>