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तुझसे मागूँ और / ओमप्रकाश चतुर्वेदी 'पराग'

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तुझसे मागूँ और कम मागूँ

पोर भर रहमो-करम मागूँ


तुझको जो देना है, जी भर दे

मैं कहाँ तक दम-ब-दम मागूँ


अजनबी है राह, मंज़िल दूर

हमसफ़र कितने क़दम मागूँ


हाथ की अंधी लकीरों से

रोशनी मागूँ, कि तम मागूँ


मैं बहुत दुविधा में हूँ यारब

तुझको मागूँ, या सनम मागूँ


जो नहीं मिलनी मेहरबानी

क्यों न फिर जुल़्मों-सितम मागूँ


या खुद़ा, यूँ इम्तहाँ मत ले

मैं खुश़ी मागूँ न गम़ मागूँ