तफ़ानों से डरें नहीं,
यह पेड़ हमें बतलाते हैं ।
पतझड़ में पत्ते झड़ जाएँ,
फिर भी ये मुस्काते हैं ।
पतझड़ बाद बसंत जब आए,
डाल-डाल हरियाली छाए ।
ढेरों फल इन पर लग जाएँ,
फिर भी ये झुक जाते हैं ।
पेड़ हमारे जीवनदाता,
इनसे जन्म-जन्म का नाता।
भेदभाव नहीं संग किसी के,
शीतल छाँव लुटाते हैं ।।