खिचड़ी विप्लव देखा हमने
रचनाकार | नागार्जुन |
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प्रकाशक | संभावना प्रकाशन, हापुड़ |
वर्ष | 1980 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | |
विधा | |
पृष्ठ | 128 |
ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- तुम तो नहीं गई थीं आग लगाने /नागार्जुन
- इन्दु जी क्या हुआ आपको / नागार्जुन
- लाइए,मैं चरण चूमूं आपके / नागार्जुन
- जयप्रकाश पर पड़ी लाठियाँ लोकतंत्र की /नागार्जुन
- बाघिन / नागार्जुन
- क्रांति सुगबुगाई है /नागार्जुन
- अगले पचास वष और... /नागार्जुन
- वो सब क्या था आख़िर /नागार्जुन
- फिसल रही चांदनी / नागार्जुन
- जाने, तुम कैसी डायन हो /नागार्जुन
- इस लेखे संसद-फंसद सब फिजूल है /नागार्जुन
- सूर्ज सहम कर उगेगा /नागार्जुन
- यह बदरंग पहाड़ी, गुफ़ा सरीखा /नागार्जुन
- खिचड़ी विप्लव देखा हमने /नागार्जुन
- सत्य /नागार्जुन
- अहिंसा /नागार्जुन
- काश, क्रान्ति उतनी आसान हुआ करती /नागार्जुन
- चन्दू, मैंने सपना देखा /नागार्जुन
- लालू साहू /नागार्जुन
- सिके हुए दो भुट्टे /नागार्जुन
- छोटी मछली शहीद हो गई /नागार्जुन
- बंधु डा. जगन्नाथन /नागार्जुन
- नेवला /नागार्जुन
- पसन्द आएगा तुम्हें ऎसा सुदीर्घ जीवन /नागार्जुन
- प्रतिबद्ध हूँ /नागार्जुन
- खटमल / नागार्जुन
- खल गई होली इस साल... /नागार्जुन
- वेतन भोगी टहलुआ नहीं है /नागार्जुन
- मुर्गे ने दी बांग /नागार्जुन
- जी हाँ, यह सबकी चहेती है !... /नागार्जुन
- धज्जी-धज्जी उड़ा दी छोकरों ने इमर्जेन्सी की... /नागार्जुन
- हाथ लगे आज पहली बार /नागार्जुन
- हुकूमत की नर्सरी / नागार्जुन
- तकली मेरे साथ रहेगी /नागार्जुन
- सुबह-सुबह / नागार्जुन
- वसन्त की अगवानी /नागार्जुन
- इन सलाखों से टिकाकर भाल /नागार्जुन
- फिसल रही चांदनी /नागार्जुन
- होते रहेंगे बहरे ये कान जाने कब तक/ नागार्जुन
- वो चांदनी ये सींखचे /नागार्जुन
- हरे-हरे नए-नए पात /नागार्जुन
- नंगे तरु हैं नंगी डालें /नागार्जुन
- इर्द-गिर्द संजय के, मेले जुड़ा करेंगे /नागार्जुन
- इस चुनाव के हवन-कुंड से... /नागार्जुन
- तुनुक मिजाजी नही चलेगी / नागार्जुन
- कब होगी इनकी दीवाली? / नागार्जुन
- बाल-बाल बचा हूँ मैं तो... /नागार्जुन
- नए-नए दिल हैं / नागार्जुन
- रहा उनके बीच मैं /नागार्जुन
- परेशान हैं कांग्रेसी / नागार्जुन
- जनता वाले परेशान हैं / नागार्जुन
- जरासन्ध /नागार्जुन
- सदाशय बन्धु /नागार्जुन
- थकित-चकित-भ्रमित-भग्न मन /नागार्जुन
- नए सिरे से /नागार्जुन
- धोखे में डाल सकते हैं /नागार्जुन
- ख़ूब सज रहे /नागार्जुन
- हाय अलीगढ़ /नागार्जुन
- नुक्कड़ ज़िन्दाबाद /नागार्जुन
- देवरस-दानवरस /नागार्जुन
- नित-नए मिलन हैं /नागार्जुन
- आए दिन /नागार्जुन
- हम विभोर थे अगवानी में /नागार्जुन
- पुलिस आगे बढ़ी /नागार्जुन
- हरिजन गाथा / नागार्जुन
- तीस साल के बाद.../ नागार्जुन