आँगन में
दीवार के सहारे
भरा पड़ा
खड़ा है
गेहूँ का थैला
कहते जिसे हम
अपनी भाषा में-
पीसणा।
बड़े ही जतन से
पत्नी ने जिसे
छाज में छटक-फटक
किया साफ
बीन दिया
कंकर-कचरा सारा
उड़ा दी खेह-खपरिया
हवा के संग।
अब जाएगा
आटा-चक्की तक
बड़ी ही शान से
सवार हो
मेरे मोढ़े पर।
(मोढ़े=कंधे)