भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

फीका चाँद/जावेद अख़्तर

Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:21, 1 अप्रैल 2011 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज



सुखी टहनी, तन्हा चिड़िया, फीका चाँद
आँखों के सहरा<ref>विराना</ref> में एक नमी का चाँद

उस माथे को चूमे कितने दिन बीते
जिस माथे की खातिर था एक टिका चाँद

पहले तू लगती थी कितनी बेगाना
कितना मुब्हम<ref>धुंधला</ref> होता है पहली का चाँद

कम कैसे हो इन खुशियों से तेरा गम
लहरों में कब बहता है नदी का चाँद


आओ अब हम इसके भी टुकड़े कर ले
ढाका रावलपिंडी और दिल्ली का चाँद

शब्दार्थ
<references/>