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बादली/चन्द्र सिंह

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जीवन नै सह तरसिया बंजड झंकड़ वाड़ |
बरसे, भोली बादली आयो आज आसाड़ ||1||

आठूं पोर अड़ीकतां बीते दिन ज्यूँ मास |
दरसन दे, अब बादली मुरधर नै मत तास ||2||

आस लगाया मुरधरा देख रही दिन रात |
भागी आ तुं बादली, आई रुत बरसात ||3||

कोरां कोरां धोरियाँ डून्गा-डून्गा डेर |
आव रमां ए बादली, ले-ले मुरधर ल्हेर ||4||

ग्रीखम रुत धाझी धरा कलप रही दिन रात |
मेह मिलावन बादली बरस बरस बरसात ||5||

नहीं नदी नाला अठे नहीं सरवर सरसाय |
एक आसरो बादली मरू सुकी मत जाय ||6||

खो मत जीवन, बावली डूंगर-खोहां जाय |
मिलन पुकारे मुरधरा रम रम धोरां आय ||7||