भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

चुम्बनों-सी बारिश / पंकज त्रिवेदी

Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:52, 31 मार्च 2011 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कोहरे ने
आगोश में ले लिया है मुझे
तुम्हारी तरह
और
चुम्बनों-सी बारिश की बूँदें
नहलाती है मुझे

मीठी नोंकझोंक सी चट्टानों की ठोकरें
फिर भी -
कितनी सुहावनी लगती है यह
जिन्दगी...!!

मूल गुजराती भाषा से अनुवाद : स्वयं कवि