Last modified on 25 नवम्बर 2010, at 22:41

होठां में हरफ सागी / सांवर दइया

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:41, 25 नवम्बर 2010 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

म्हनै देख र मुळकै तूं
थनै देख र मुळकूं म्हैं
रोजीनै दांई

पाणी री गिलास धर परो पूछै तूं –
मळाई कोफ्ता… मटर पनीर… शाही पनीर…
पालक पनीर… बैंगन भुरता…… पुलाव……
अर
एक पछै एक बोल्यां ई जावै नांव
जाणै बाजता हुवै नान स्टाप गीत

पछै उडीकण लागै तूं
म्हारै होठां सूं निकळै
कदास कोई नुंवो नांव
पण म्हारै होठां में हरफ सागी –
हाफ दाळ फ्राई ।

तूं सावळ जाणै
कांई खा सकै
थारै-म्हारा जिसा लोग
पण थारै पूछियां बिना सरै कोनो !
अर म्हनै दाल छोड़ कीं जरै कोनी !!