भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

एक दीवो / सांवर दइया

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 02:37, 29 नवम्बर 2010 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आज म्हैं
दिन में
सूरज सागै सगपण करियो है

आज म्हैं
रात में
एक दिवो जगायो है

सुणो
अंधारै अर आंधी नै
सनोसो कर दीजो !