भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
चांद : एक / सांवर दइया
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:28, 1 अप्रैल 2011 का अवतरण
अचपळै छोरै
चिगावण मिस
ऊपर उछाळियो सिक्योड़ो फलको
मिजळो आभो
बोच’र बैठग्यो
अबै पिलको मूंडो करियां
होठां माथै जीभ फेरतो
आंगणै ऊभो आभै कानी ताकै छोरो !