भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आज अदीतवार है / सांवर दइया

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:59, 27 नवम्बर 2010 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आज म्हारै घरां
मत आइजै भायला
आज अदीतवार है

दिन ऊगतां ई
आंख उळझ जावै परदै में
भांत-भांत रा चितराम करै उछळकूद
विज्ञापनां री आंधी होड
      होड माथै गौर
      अष्टपौर

कोडायो आवै कोई
आवो भलांई
बक्सै में बंद हुयोड़ा सैंग
किणी नै फुरसत कोनी आज
आज अदीतवार है !