Last modified on 6 दिसम्बर 2011, at 18:03

कुमार अनिल / परिचय

Dr. ashok shukla (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:03, 6 दिसम्बर 2011 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

जन्म स्थान : मेरठ (उत्तर प्रदेश) प्रकाशित पुस्तकें : और कब तक चुप रहें, ग़ज़ल संग्रह (नवधा प्रकाशन, मेरठ), उदीषा (काव्य संकलन, उदीषा प्रकाशन, मेरठ) संकलित : हिंदी की सर्वश्रेष्ठ गजलें, ज्योति कलश, मयराष्ट्र दर्पण, नया जमाना नयी ग़ज़लें, पलाश वन में, आखर -आखर गंध के अतिरिक्त अन्य कई संकलनो में रचनाएँ संकलित । इसके अतिरिक्त लगभग सभी राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित। प्राप्त पुरस्कार/सम्मान : अखिल भारतीय साहित्य कला मंच द्वारा सन २००८ दुष्यंत स्मृति पुरस्कार, विभिन्न सामाजिक व साहित्यिक संस्थाओं द्वारा सम्मान। विस्तृत जीवनी : बी एस सी, एम ए(अर्थशास्त्र), भारतीय स्टेट बैंक में कार्यरत, सन १९७८ से गीत, ग़ज़ल, कहानी, लघुकथा , निबंध लेखन

कविता मानवीय अनुभूतियों को शब्दों के द्वारा प्रगट करने का सबसे प्रभावपूर्ण माध्यम है. ग़ज़ल की विधा, जो एक लम्बे अरसे तक श्रंगार और करुणा रस तक ही सीमित थी और जिसे एक भाषा विशेष तक ही सीमित रखा गया था, उसे उर्दु भाषा के पाठकों और श्रोताओं से आगे बढ़ा कर हिंदी भाषा से जोड़ने का श्रेयकर कार्य मुख्यत: दुष्यंत जी के बाद ही शुरू हुआ। उन्होंने और उनके बाद के जिन कवियों और शायरों ने ग़ज़ल की देह पर जनसामान्य के जीवन की कठिनाइयों, दुविधाओं और चुनोतियों के उबटन लगाये , उसको चीखती अव्यवस्थाओं और दम तोडती नैतिकताओं के बीच पोषित किया, उनमे कुमार अनिल का नाम मुख्य रूप से लिया जा सकता है। उन्होंने ही कहा है :- " आँधियों में जला रहा है चराग, ये अनिल कितना बावला है दोस्त ."