Last modified on 15 जनवरी 2011, at 22:08

लेनिन / केदारनाथ अग्रवाल

Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:08, 15 जनवरी 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=केदारनाथ अग्रवाल |संग्रह=खुली आँखें खुले डैने / …)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

लेनिन
एक व्यक्ति था पहले,
नामों में एक नाम था पहले,
सबकी जबान पर चढ़ा।

लेनिन
अब हो चुका है
अवनी और आकाश-
पवन-पानी और प्रकाश।
लेनिन
नहीं है-नहीं है
पत्थर की एक मूर्त्ति,
तोड़ दे जिसे कोई

लेनिन
नहीं है-नहीं है
एक रेखांकित एक चित्र,
फाड़ दे जिसे कोई।

लेनिन
सूर्य है सूर्य
सत्य की रश्मियों का
सूर्य,
असत्य को भेद रहा
सूर्य!

रचनाकाल: २१-०१-१९९१