चांद निकला बादलों से पूर्णिमा का।
गल रहा है आसमान।
एक दरिया उबलकर पीले गुलाबों का
चूमता है बादलों के झिलमिलाते
स्वप्न जैसे पाँव।
चांद निकला बादलों से पूर्णिमा का।
गल रहा है आसमान।
एक दरिया उबलकर पीले गुलाबों का
चूमता है बादलों के झिलमिलाते
स्वप्न जैसे पाँव।