Last modified on 21 मई 2010, at 23:00

हरदम किसी की याद में जलते रहे हैं हम / गुलाब खंडेलवाल

Vibhajhalani (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:00, 21 मई 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल |संग्रह=सौ गुलाब खिले / गुलाब खंड…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


हरदम किसी की याद में जलते रहे हैं हम
करवट ही ज़िन्दगी में बदलते रहे हैं हम

जाना किधर है, आये कहाँ से, पता नहीं
कोई चलाये जा रहा, चलते रहे हैं हम

ऐसे तो हमको आपने देखा न था कभी
हर बार इस गली से निकलते रहे हैं हम

हरदम किसी के पाँव की आहट सुना किये
गिर-गिरके ज़िन्दगी में सँभलते रहे हैं हम

देखे जो कोई रंग हैं सौ-सौ गुलाब में
मौसम के साथ-साथ बदलते रहे हैं हम