Last modified on 26 जून 2011, at 01:20

कोई छेड़े हमें किसलिए! / गुलाब खंडेलवाल

Vibhajhalani (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:20, 26 जून 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल |संग्रह=पँखुरियाँ गुलाब की / गुल…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


कोई छेड़े हमें किसलिए!
हम तो मरने की धुन में जिए

पाँव धीरे से रखना हवा
फूल सोये हैं करवट लिए

सूरतें एक से एक थीं
हम तो उनको ही देखा किये

अब ये प्याला भी छलका तो क्या
उम्र कट ही गयी बेपिये

और भी लाल होंगे गुलाब
उसने होठों से हैं छू लिए