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इन्सान में हैवान यहाँ भी है वहाँ भी / निदा फ़ाज़ली

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(पाकिस्तान से लौटने के बाद )

इन्सान में हैवान

यहाँ भी है वहाँ भी

अल्लाह निगहबान

यहाँ भी है वहाँ भी |


खूँख्वार दरिंदों के

फ़क़त नाम अलग हैं

शहरों में बयाबान

यहाँ भी है वहाँ भी |


रहमान की कुदरत हो

या भगवान की मूरत

हर खेल का मैदान

यहाँ भी है वहाँ भी |


हिन्दू भी मज़े में है

मुसलमाँ भी मज़े में

इन्सान परेशान

यहाँ भी है वहाँ भी |


उठता* है दिलो-जाँ से

धुआँ दोनों तरफ़ ही

ये 'मीर' का दीवान

यहाँ भी है वहाँ भी |



  • देख तो दिल कि जाँ से उठता है, ये धुआँ सा कहाँ से उठता है--'मीर'