Last modified on 22 जुलाई 2011, at 17:04

फुटपाथ पर बैठ्यै बाप रा सुपना / जितेन्द्र सोनी

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:04, 22 जुलाई 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=जितेन्द्र सोनी |संग्रह= }} [[Category:मूल राजस्थानी भाष…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


सड़क बिचाळै
फुटपाथ पर बैठ्यै
बाप रा सुपना
होग्या ईंट रा,
सिमटगी सोच
एक कमरै मांय।
एक कमरो बण्यां पाछै
नीं दिखै
कमरै रै बा'र स्यूं
फाट्योड़ा गाबां मांय
लगोलग जुवान होंवती
बीं री तीन छोरियां,
नीं दिखैला
बै सारा
पाणी स्यूं
पेट नै स्हारो देंवता।
छात अर भींतां
छुपा सकै
बां रा कई दुख,
ऐ बातां
कदै ई नीं जाणै
महलां मांय रैवण वाळा।
च्यार दीवारां अर
छात री कीमत
जाणै है
आसमान री छात तळै
फगत एक
बूढो बाप।