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हथियार / श्याम महर्षि

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बम, लाठ्यां, हथगोळा
अर बंदूकां
उग आई है
म्हारै देस
अबै तो कठैई
लांचर अर छोटी तोपां री
खेत ई
लुक्यां छिप्यां
हुवणै लागगी है

इण फसल नै
सींच रैया बै लोग
जनता रै खून सूं
जिका
इण देश रा हेताळू नीं,
राष्ट्रीयता अर मिनखपणै रा
सांसा पड़ग्या म्हारै देस

बे फकत हथियार उगावै
अर उण फसल नै
बांट देवै
आप सरीखा हाथां मांय,
सोनल धरती नै
डूबावै रगत समुन्दर मांय
बै लोग।