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ईसुरी की फाग-17 / बुन्देली

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   ♦   रचनाकार: ईसुरी

देखी रजऊ काउनें नइयाँ, कौन बरन तन मुइयाँ

काँ तौं उनकी रहस रास है, काँ दये जनम गुसइयाँ

पैलऊँ भेंट हमईं सें न भई सही कृपा हम पैयाँ

ईसुर हमने रजऊ की फागें, कर दई मुलकन मैंया ।