♦ रचनाकार: ईसुरी
देखी रजऊ काउनें नइयाँ, कौन बरन तन मुइयाँ
काँ तौं उनकी रहस रास है, काँ दये जनम गुसइयाँ
पैलऊँ भेंट हमईं सें न भई सही कृपा हम पैयाँ
ईसुर हमने रजऊ की फागें, कर दई मुलकन मैंया ।
देखी रजऊ काउनें नइयाँ, कौन बरन तन मुइयाँ
काँ तौं उनकी रहस रास है, काँ दये जनम गुसइयाँ
पैलऊँ भेंट हमईं सें न भई सही कृपा हम पैयाँ
ईसुर हमने रजऊ की फागें, कर दई मुलकन मैंया ।