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दीपनिष्ठा को जगाओ / बालकवि बैरागी

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यह घड़ी बिल्कुल नहीं है शांति और संतोष की

‘सूर्यनिष्ठा’ सम्पदा होगी गगन के कोष की

यह धरा का मामला है घोर काली रात है

कौन जिम्मेदार है यह सभी को ज्ञात है

रोशनी की खोज में किस सूर्य के घर जाओगे

‘दीपनिष्ठा’ को जगाओ अन्यथा मर जाओगे।।