Last modified on 1 मई 2019, at 23:53

भैया मल्हबा हो / ब्रह्मदेव कुमार

सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:53, 1 मई 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ब्रह्मदेव कुमार |अनुवादक= }} {{KKCatAngikaRac...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

बटोहिन- भैया मलहवा हो, नैया लगा देॅ नदिया के पार।
मल्लाह- बहिन बटोहिन गे, फूटलोॅ छै नैया, टूटलोॅ पतवार।।

बटोहिन-आखरोॅ हड़िया दही खिलैबौ, दूधोॅ दियबौ ढार।
उमड़ल नदिया पार करी देॅ, टाका दियबौ चार।।
भैया मलहवा हो, नैया लगा देॅ नदिया के पार।।

मल्लाह- ना हम खैबोॅ दूध आरोॅ दही, ना लेबौ टकवा चार।
आपनोॅ नाम जे लिख दे बहिनियाँ
नैया में लिख दे हमार।।
बहिन बटोहिन गे, तोहरा उतारी देबौ हमेॅ पार।।

बटोहिन- हम्में तोरा देबौ कतरी-मठिया, छनमा देबौ उतार।
कौनों उपईयाँ पार करा देॅ, गुणमां गैबो तोहार।।
भैया मलहवा हो, नैया लगा देॅ नदिया के पार।।

मल्लाह- ना हम लेबौ कतरी-मठिया, ना हम छनमा तोहार।
एके उपईया सुन गे बहिनियाँ, नमुवां लिख दे हमार।।
बहिन बटोहिन गे, तोहरा उतारी देबौ हमेॅ पार।।

बटोहिन- पढ़ै-लिखै के मरम नै जानौं, नाहीं उमरिया हमार।
कैसे नाम लिखबै हो भैया, कैसे उतरबै पार।।
भैया मलहवा हो, नैया लगा देॅ नदिया के पार।।


मल्लाह- पढ़ै-लिखै बिना सुन गे बहिनियाँ, बेरथ जिनगी तोहार।
पढ़ै-लिखै के करै जे परणमां, वही खेबनमा हमार।।
बहिन बटोहिन गे, तोहरा उतारी देबौ हमेॅ पार।।

बटोहिन- कर जोड़ूँ, पैयाँ पड़ूँ हो भैया, सुनोॅ अरजिया हमार।
कानते होतै गोदी-बलकबा, फाटै करेजबा हमार।।
भैया मलहवा हो, नैया लगा देॅ नदिया के पार।।

मल्लाह- हमरो अरजिया सुन गे बहिनियाँ, मनमाँ में करैं विचार।
गोदी-बलकवा संग-संग पढ़तौ, होतौ सपनमां साकार।।
बहिन बटोहिन गे, तोहरा उतारी देबौ हमेॅ पार।।

बटोहिन- सुन-सुन के भैया, तोरोॅ वचनमाँ, डोलै मनमां हमार।
पढ़बै-लिखबै आजू सेॅ भैया, यही परणमां हमार।।
भैया मल्हवा हो, नैया लगा देॅ नदिया के पार।।

मल्लाह-चाहेॅ फूटलोॅ नैया हमरोॅ, चाहेॅ टूटलोॅ पतवार।
साक्षरता के नैया से बहिनियाँ, जिनगी के नदिया पार।।
बहिन बटोहिन गे, तोहरा उतारी देबौ हमेॅ पार।।

बटोहिन- भैया मलहवा हो, नैया लगा देॅ नदिया के पार।
मल्लाह- बहिन बटोहिन गे, तोहरा उतारी देबौ हमेॅ पार।।