Last modified on 7 नवम्बर 2019, at 00:55

वह मैं नहीं था / प्रताप नारायण सिंह

Pratap Narayan Singh (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:55, 7 नवम्बर 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रताप नारायण सिंह |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

नहीं, वह मैं नहीं था दोस्त
जिसने तुम्हारे आने पर
सजाई थी एक औपचारिक मुस्कान
अपने होठों पर
और अपनी व्यस्तता का हवाला देकर
विदा कर दिया था तुम्हें
कुछ ही पलों में।

नहीं, वह मैं नहीं था दोस्त
जिसने कठिनाई के समय
छिड़की थी तुम पर
सहानुभूति की कुछ बूँदें
और अपनी असमर्थता का रोना रोते हुए
चल दिया था
तुमसे पिंड छुड़ा कर ।

नहीं, वह मैं नहीं था दोस्त
जिसने तुम्हें
देखकर भी
अनदेखा कर दिया था
और तुम्हारी आवाज़ को अनसुनी कर
आगे बढ़ गया था
लम्बे लम्बे डग भरते हुए।

न जाने कौन है वह
रंग बिरंगी बेड़ियों वाला
सुनहरे पिजड़ों वाला
जो मुझको
मेरे ही अंदर बंदी बनाकर
शासन करता है मुझ पर।