कहीं मैं हो जाऊँ लयमान,
कहाँ लय होगा मेरा राग,
विषम हालाहल का भी पान
बढ़ाएगा ही मेरा आग,
- नहीं वह मिटने वाला राग
- जिसे लेकर चलती है आग,
- नहीं वह बुझने वाली आग
- उठाती चलती है जो राग!
कहीं मैं हो जाऊँ लयमान,
कहाँ लय होगा मेरा राग,
विषम हालाहल का भी पान
बढ़ाएगा ही मेरा आग,