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यह चाँद नया है नाव नई आशा की / हरिवंशराय बच्चन

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यह चाँद नया है नाव नई आशा की।
आज खड़ी हो छत पर तुमने
होगा चाँद निहारा,
फूट पड़ी होगी नयनों से
सहसा जल की धारा,
इसके साथ जुड़ीं