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मनुष्यों की तरह / नरेश सक्सेना

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कोई-कोई वृक्ष

बिल्कुल मनुष्यों की तरह होते हैं


वे न फल देते हैं न छाया

एक हरे सम्मोहन से खींचते हैं

और पहुँच में आते ही

दबोच कर सारा ख़ून चूस लेते हैं


उस वक़्त बिल्कुल मनुष्यों की तरह

हो जाता है सारा जंगल

एक भी वृक्ष आगे नहीं बढ़ता।