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गर दिल में जज़्बात नहीं / मनोज मनु

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गर दिल में जज़्बात नहीं
तो फिर कोई बात नहीं
 
यूँ शतरंज़ी चाल न चल
प्यार में शह और मात नहीं
 
प्यार के बदले प्यार मिले
हक़ चाहा ख़ैरात नहीं
 
हमको छूकर मत देखो
सूरज हैं ज़र्रात नहीं
 
वो वापस आयेगा ही
वो भी पत्थर ज़ात नहीं